Property Possession – अगर आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदी है और लंबे वक्त से उस पर किसी और का कब्जा है, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी से जुड़े एक बेहद अहम मामले में फैसला सुनाया है, जो लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर कोई शख्स लगातार 12 साल तक किसी प्रॉपर्टी पर कब्जा जमाए बैठा है, और उस दौरान असली मालिक ने कोई आपत्ति नहीं जताई, तो अब वो कब्जा करने वाला ही उस जगह का असली मालिक माना जाएगा।
क्या है ‘एडवर्स पजेशन’ का नियम?
अब सोच रहे होंगे कि ये फैसला किस आधार पर दिया गया है, तो बता दें कि ये ‘एडवर्स पजेशन’ के नियम पर आधारित है। ये नियम लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत आता है। इसके मुताबिक, अगर कोई इंसान लगातार 12 साल तक किसी प्राइवेट प्रॉपर्टी पर बिना किसी कानूनी दखल के रह रहा है और असली मालिक चुपचाप देखता रहा, तो उस व्यक्ति को मालिकाना हक मिल सकता है।
पहले कोर्ट का था दूसरा विचार
साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह के एक केस में फैसला दिया था कि कोई भी इंसान जबरदस्ती किसी की जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता। अगर असली मालिक चाहे तो जमीन वापसी का दावा कर सकता है और कब्जा करने वाले को हटाया जा सकता है। लेकिन अब कोर्ट ने इस पुराने फैसले को पलटते हुए कहा कि अगर 12 साल तक लगातार कोई व्यक्ति वहां रह रहा है और मालिक ने कोई आपत्ति नहीं की, तो वह कब्जाधारी अब उस प्रॉपर्टी का मालिक बन जाएगा।
सिर्फ कागजों से नहीं मिलेगा मालिकाना हक
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि सिर्फ वसीयत, गिफ्ट डीड या पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे डॉक्युमेंट्स से आप खुद को प्रॉपर्टी का मालिक नहीं बता सकते। जब तक जमीन पर असली कब्जा नहीं होगा, तब तक सिर्फ कागजों का कोई फायदा नहीं है।
कब और कैसे मिल सकता है कब्जे वाले को हक?
कोर्ट ने जो साफ-साफ बातें कहीं हैं, उनमें सबसे अहम बात ये है कि कब्जा करने वाला व्यक्ति तभी मालिक बनेगा जब वह लगातार 12 साल तक वहां रहा हो और इस दौरान असली मालिक ने उसे हटाने की कोई कानूनी कोशिश न की हो। यानी अगर आपने 12 साल तक सिर्फ देखा और कुछ नहीं किया, तो अब जमीन आपके हाथ से जा सकती है।
सरकारी जमीन पर लागू नहीं होगा ये नियम
ये जो नियम है, वो सिर्फ निजी प्रॉपर्टी पर लागू होता है। सरकारी जमीन के मामले में ये नियम मान्य नहीं है। अगर कोई सरकारी जमीन पर कब्जा करता है, तो सरकार कभी भी उसे हटा सकती है। इस फैसले का असर केवल प्राइवेट जमीनों और मकानों पर होगा।
किराएदारों से सावधान रहें
अब इस फैसले के बाद मकान मालिकों को थोड़ी ज्यादा सावधानी बरतनी होगी। अगर आप किसी को किराए पर घर देते हैं, तो 11 महीने का एग्रीमेंट जरूर बनवाएं। हर साल उस एग्रीमेंट को रिन्यू कराते रहें। अगर किराएदार लगातार बिना एग्रीमेंट के 12 साल रह गया, तो वो उस प्रॉपर्टी पर दावा कर सकता है। इसलिए ज़रा भी ढिलाई न बरतें।
अगर कब्जा हो गया तो क्या करें?
अगर किसी ने आपकी जमीन या मकान पर कब्जा कर लिया है, तो 12 साल पूरे होने से पहले ही कोर्ट में केस कर दें। एक बार 12 साल बीत गए, तो फिर आप कानूनी तौर पर उस जगह का हक खो सकते हैं। इसलिए जागरूक रहना जरूरी है।
कब्जाधारी के भी हैं अधिकार
अब कब्जा करने वाला भी कोर्ट जा सकता है अगर कोई उसे जबरदस्ती हटाने की कोशिश करे। कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया है कि 12 साल लगातार कब्जे के बाद उसे वहां से निकाला नहीं जा सकता। ऐसे में वो अपने अधिकारों की रक्षा के लिए केस कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला देश भर में प्रॉपर्टी विवादों का चेहरा बदल सकता है। अब सिर्फ कागज नहीं, बल्कि जमीन पर असली कब्जा ही बताएगा कि मालिक कौन है। अगर आपने प्रॉपर्टी खरीदी है या किसी को किराए पर दी है, तो जरूरी है कि आप सतर्क रहें और कानूनी नियमों का पालन करें।