Fitment Factor Salary Hike – केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है। जो लोग सालों से अपनी सैलरी में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे थे, उनके लिए अब राहत की बात है। 8वें वेतन आयोग को लेकर जो अटकलें लगाई जा रही थीं, उन पर अब धीरे-धीरे सरकार काम शुरू कर चुकी है। जनवरी 2024 में केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर 8वें वेतन आयोग के गठन की बात कही थी और अब इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर को लेकर काफी चर्चा हो रही है क्योंकि यहीं से तय होता है कि असल में कितनी सैलरी बढ़ेगी।
फिटमेंट फैक्टर आखिर होता क्या है?
फिटमेंट फैक्टर एक तरह का मल्टीप्लायर होता है यानी गुणा करने वाला आंकड़ा। पुराने वेतन को इससे गुणा करके नया वेतन तय किया जाता है। मान लीजिए किसी कर्मचारी की मौजूदा बेसिक सैलरी 18 हजार रुपए है और अगर सरकार फिटमेंट फैक्टर 2.86 तय करती है, तो उसी के आधार पर उसकी नई बेसिक सैलरी करीब 51 हजार रुपए तक हो सकती है। लेकिन ये पूरी सैलरी नहीं होती, इसमें अन्य अलाउंस जैसे महंगाई भत्ता और HRA भी जुड़ते हैं जो इस नई बेसिक सैलरी के आधार पर तय होते हैं।
पुराने वेतन आयोगों में क्या हुआ था?
अगर हम 6वें वेतन आयोग की बात करें तो उस समय फिटमेंट फैक्टर 1.86 रखा गया था, जिससे कर्मचारियों की सैलरी में औसतन 54 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। इसके बाद 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 रखा गया, लेकिन असल में कर्मचारियों को सिर्फ 14.2 प्रतिशत की ही असली बढ़ोतरी मिली थी। इसका कारण ये था कि उस समय फिटमेंट फैक्टर का एक बड़ा हिस्सा महंगाई भत्ते को समायोजित करने में चला गया था।
इस बार कितना हो सकता है फिटमेंट फैक्टर?
इस बार कर्मचारियों की तरफ से मांग की जा रही है कि फिटमेंट फैक्टर कम से कम 2.86 होना चाहिए, ताकि सैलरी में वाकई में बड़ा अंतर दिखे। लेकिन जानकारों की मानें तो सरकार शायद इतना बड़ा कदम ना उठाए। पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग के मुताबिक, 2.86 का फैक्टर थोड़ा ज्यादा हो सकता है और इसे लागू करना सरकार के लिए वित्तीय रूप से भारी पड़ सकता है। इसलिए संभावना जताई जा रही है कि फिटमेंट फैक्टर करीब 1.92 के आसपास रह सकता है।
अगर ऐसा होता है, तो मौजूदा 18 हजार रुपए की बेसिक सैलरी बढ़कर करीब 34 हजार रुपए तक पहुंच सकती है। लेकिन फिर से ध्यान देने वाली बात है कि इसमें से एक बड़ा हिस्सा महंगाई भत्ते और अन्य भत्तों में ही चला जाएगा, यानी असली फायदा सीमित ही रहेगा।
7वें वेतन आयोग में क्या थी स्थिति?
सातवें वेतन आयोग के समय कर्मचारियों को 125 प्रतिशत का महंगाई भत्ता मिल रहा था जिसे नई सैलरी में जोड़ दिया गया। उस समय 2.57 का फिटमेंट फैक्टर रखा गया था, लेकिन जब उसे डीए समायोजन के नजरिए से देखा गया, तो असल बढ़ोतरी सिर्फ 0.32 यानी 14.2 प्रतिशत ही थी। बाकी सब सिर्फ पुराने भत्तों को नए फॉर्मेट में जोड़ने जैसा था।
अब तक क्या-क्या हुआ है?
सरकार ने हाल ही में 8वें वेतन आयोग को लेकर कुछ कदम उठाए हैं। दो सर्कुलर जारी करके करीब 40 पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इन अधिकारियों को अलग-अलग विभागों से प्रतिनियुक्ति के जरिए नियुक्त किया जा रहा है। अब जल्द ही आयोग का टर्म्स ऑफ रेफरेंस यानी ToR जारी किया जाएगा और फिर चेयरमैन समेत अन्य सदस्यों की नियुक्ति भी होगी। आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होनी हैं क्योंकि 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 तक ही है।
सरकार पर क्या असर पड़ेगा?
सातवें वेतन आयोग के कारण सरकार पर करीब 1.02 लाख करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ आया था। अगर इस बार फिटमेंट फैक्टर ज्यादा रखा गया, तो बोझ और भी बढ़ेगा। यही वजह है कि सरकार इस बार काफी सोच-समझकर फैसले ले रही है। हर कदम फूंक-फूंक कर रखा जा रहा है ताकि बजट का संतुलन बिगड़े नहीं।
आखिर में बात ये है कि कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग से काफी उम्मीदें हैं। सभी चाहते हैं कि सैलरी में वाकई में ठोस बढ़ोतरी हो, ना कि सिर्फ भत्तों का नया जोड़-घटाव। सरकार की मंशा भी कर्मचारियों को राहत देने की है, लेकिन वित्तीय दबाव को देखते हुए वह हर फैसले को संतुलित रखना चाहती है। अब देखना ये होगा कि आने वाले महीनों में इस पर क्या ठोस निर्णय लिया जाता है। फिलहाल इतना तय है कि इंतजार जरूर है, लेकिन उम्मीदें भी बहुत हैं।