Gold Rate : इस साल की शुरुआत में सोना जिस तेजी से चढ़ा, उसी रफ्तार से अब लुढ़कता नजर आ रहा है। जनवरी में जहां सोना 76,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास था, वहीं अप्रैल के अंत तक ये 1 लाख के आंकड़े को छू गया। इंटरनेशनल मार्केट में तो सोना 3500 डॉलर प्रति औंस तक जा पहुंचा था। लेकिन अब वही सोना करीब 7,000 रुपये तक सस्ता हो चुका है।
तो क्या था अचानक इस तेजी का कारण?
इस बार सोने के दाम बढ़ने की बड़ी वजह रही ग्लोबल पॉलिटिकल टेंशन। खासकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वॉर वाली नीति। जब उन्होंने रेसिप्रोकल टैक्स की बात कही, तो बाजार में हलचल मच गई। अनिश्चितता के माहौल में निवेशकों ने सोने को सबसे सुरक्षित विकल्प माना और भारी मात्रा में खरीदारी की।
लेकिन फिर क्यों गिरे दाम?
22 अप्रैल तक तेजी दिखाने के बाद, 23 अप्रैल से सोने में गिरावट शुरू हो गई। इसकी वजह भी वही रही – ग्लोबल टेंशन में थोड़ी नरमी। जैसे ही अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक तनाव थोड़ा कम हुआ, निवेशकों ने मुनाफा काटना शुरू कर दिया। इसका असर यह हुआ कि सोने की डिमांड घटी और दाम भी लुढ़क गए।
कितना गिर चुका है सोना?
सोना अब अपने ऑल टाइम हाई 99,358 रुपये से गिरकर 92,480 रुपये पर आ चुका है। यानी करीब 6,878 रुपये की गिरावट। सिर्फ 16 मई को ही सोना 689 रुपये टूटा और 0.74% की गिरावट के साथ बंद हुआ। ये इस साल की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट मानी जा रही है।
क्या ये गिरावट जारी रहेगी?
शॉर्ट टर्म में और गिरावट हो सकती है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सिर्फ एक अस्थायी फेज है। एक्सपर्ट रोहित वर्मा का कहना है कि जैसे-जैसे त्योहारी सीजन और शादियों का समय पास आएगा, सोने की मांग फिर बढ़ेगी। नवंबर-दिसंबर तक सोना फिर से 1 लाख रुपये के पार जा सकता है।
टैरिफ वॉर फिर से बढ़ा सकता है दाम
अगले तीन महीनों में अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर फिर से चर्चा गर्म हो सकती है। ऐसे में बाजार में फिर से डर का माहौल बनेगा, और निवेशक एक बार फिर गोल्ड की तरफ रुख करेंगे।
निवेशकों के लिए क्या सलाह?
अगर आपने ऊंचे रेट पर सोना खरीदा है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिवाली तक कीमतें फिर से ऊपर जा सकती हैं। और अगर आप अभी खरीदने का सोच रहे हैं, तो यह एक अच्छा मौका हो सकता है – क्योंकि अभी रेट थोड़े कम हैं।